Jahan Hum Rahte Hain (Novel)

ebook जहाँ हम रहते हैं (उपन्यास)

By Ravi Bhushan Pathak

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एक अतिव्यस्त विभाग, जो अपने ही कर्मचारी की मौत पर शिष्टाचार भूल जाता है, फिर मृतक के परिवार में ढांढस बँधा रहे मित्रों के वार्तालाप से ही विभाग का एक नया चेहरा सामने आता है। यह चेहरा कार्यालय के ईंटों, अधिनियम के पन्नों और अधिकारियों के पदानुक्रम से बहुत अलग है। सबसे अच्छे जमीन के लिए संघर्ष कर रहे ग्रामीण और दूसरे को राब जमीन आवंटित करने के लिए गंवई राजनीति। दूसरी ओर हरेक के पास नियुक्ति, पदोन्नति, स्थानांतरण का आदेश है: एक फाईल में, एक मन में। इस द्वंद्व और संघर्ष को संतुलित करने के लिए बने कर्मचारी संघ, सचिवालय और मंत्रालय भी अपना हिस्सा लेने में व्यस्त हैं। यहां एक-दूसरे पर गुर्रा रही डायनें हैं और एक-दूसरे का मांस नोच रहे घायल कर्मचारीगण। कस्बा, जिला से लेकर राजधानी तक फैले विभागीय दैनिकी में किसान, अधिकारी, अधिवक्ता और दलाल गुत्थमगुत्था हैं। जाति, धर्म और स्वार्थ की इस कठिन जमीन में उग रही पारिस्थितिकी का ही नाम है'जहां हम रहते है|

Jahan Hum Rahte Hain (Novel)