साधू मेरा बाप था (Sādhū Merā Bāpa Thā)

ebook

By रूपवती जैन (Rūpavatī Jaina)

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एक लम्बे समय तक दासता की बेड़ियों में जकड़े इस महान भारत देश को स्वतन्त्र कराने में क्रांतिकारियों के बलिदान, यातनायें और त्याग की गाथायें भारत के इतिहास में बिखरी पड़ी हैं। अपने जीवन को देश की आजादी के लिए लड़ते हुये न्यौछावर करने वाले महान क्रांतिकारियों चन्द्रशेखर आजाद, सरदार भगत सिंह, अशफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल, सुखदेव आदि, के चित्र और चरित्रों का जहां विशिष्ट उल्लेख किया गया हैं, वहीं स्वतन्त्रता संग्राम के अनेकों ऐसे देश भक्त हैं जिन्होंने निःस्वार्थ भाव से तन मन धन से देश की आजादी के लिए सब कुछ अर्पण किया लेकिन उनके क्रिया-कलाप उभर कर आम जनता के सामने नहीं आ सके। प्रस्तुत पुस्तक में श्रीमती रूपवती जैन ने स्व. विमल प्रसाद जैन के क्रांतिकारी जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं का उल्लेख करते हुए क्रांतिकारी इतिहास की उन टूटी हुई कड़ियां को जोड़ने का प्रयास किया है जिससे ऐसे क्रांतिकारी के बलिदान की भी गाथा सामने आ सके जिनके विषय में हम बहुत कम जानते हैं।
साधू मेरा बाप था (Sādhū Merā Bāpa Thā)