मीडिया और सामाजिक बदलाव

ebook तुलनात्मक परिपेक्ष्य में भूमंडलीकरण एवं मानवाधिकार (Mīḍiyā Aura Sāmājika Badalāva: Tulanātmaka Paripekṣya Meṃ Bhūmaṃḍalīkaraṇa Evaṃ Mānavādhikāra)

By जोसेफ गाथिया (Josepha Gāthiyā)

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भारत अपने दरवाजे दुनिया के लिए खोल रहा है। अर्थव्यवस्था को उदार बनाने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है, जीवन स्तर को ऊपर उठाने के प्रयासों में इमानदारी आ रही है। समझा जा रहा है कि इक्कसवीं सदी एशिया की होगी। लेकिन इसके साथ ही चुनौतियां भी बढ़ती जा रही हैं। सवाल यह है कि क्या भारत अपने मूल चिंतन को बरकरार रखते हुए इक्कसवीं सदी में आगे बढ़ पायेगा? यह पुस्तक ऐसे ही सामाजिक बदलाव में मीडिया की भूमिका को चिन्हित करती है। चार खंडों में विभाजित इस पुस्तक में ग्रामीण भारत की गरीबी से जुड़ी अर्थव्यवस्था, कृषि व्यवस्था, भावी जल संकट, आदिवासियों और स्त्रियों की समस्याओं, शिक्षा क्षेत्र की चुनौतियों, पर्यावरण, बेरोजगारी, धर्म एवं जातिभेद से जुड़े विभिन्न मुद्दों का गहन विश्लेषण किया है। इसमें भूमंडलीकरण, सामाजिक दायरा, मानवाधिकार विकास की अवधारणा, गैर-सरकारी संगठनों की भूमिका पर भी विस्तार से चर्चा की गई है। भारत की बहुलवाद और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति वचनबद्धता के कारण यहां अनेकता में एकता है। नई सहस्राब्दि में सामूहिक विकास के कई विचार आपस में होड़ करते दिखाई देगें। विकास की विभिन्न अवधारणाओं के बीच जोसेफ गाथिया की यह पुस्तक मीडिया और सामाजिक बदलाव भारत की रचनाशीलता को चिन्हित करने में मददगार साबित होगी।
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