पुलिस एवं अदालतों में नागरिक सहभागिता सस्ते-एवं-शीघ्र न्याय के लिये एक प्रशासनिक ढांचा (Pulisa Evaṃ Adālatoṃ Meṃ Nāgarika Sahabhāgitā Saste-Evaṃ-Sīghra Nyāya Ke Liye Eka...

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By सुरेश चन्द्र जैन (Sureśa Candra Jaina)

cover image of पुलिस एवं अदालतों में नागरिक सहभागिता सस्ते-एवं-शीघ्र न्याय के लिये एक प्रशासनिक ढांचा (Pulisa Evaṃ Adālatoṃ Meṃ Nāgarika Sahabhāgitā Saste-Evaṃ-Sīghra Nyāya Ke Liye Eka Praśāsanika Dhāṃcā)

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यह पुस्तक भारत में पुलिस एवं न्याय व्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालती है, जैसे सामान्यतः सभी व्यक्तियों को, विशेषकर करोड़ों गरीब एवं अशिक्षित व्यक्तियों को, सस्ता एवं शीघ्र न्याय देने में पुलिस तथा अदालतों की नाकामयाबी, एवं न्याय शीघ्र न होने से भ्रष्टाचार के आरोपित राजनीतिज्ञों, मंत्रियों एवं अधिकारियों का अपने पदों पर बने रहने से आम जनता में रोष, आम जनता का पुलिस थानों में भरोसा एवं विश्वास नहीं, राजनीतिक पदाधिकारियों, मंत्रियों (एम.पी. एवं एम.एल.ए.) एवं अधिकारियों के लिये जनता की सहभागिता से विशेष अदालतों का गठन, अंग्रेजों के सरकारी गोपनीयता कानून, 1923 को रद्द किया जाना, पुलिस थानों एवं अदालतों में जिला स्तर पर क्षेत्र के गणमान्य व्यक्तियों की सहभागिता, आदि, आदि। इस पुस्तक में प्रस्तावित किया गया है कि सस्ते और शीघ्र न्याय की वैकल्पिक व्यवस्था वर्तमान केन्द्रीकृत अंग्रेजी न्यायिक व्यवस्था के मुकाबले, भारत में पूर्व प्रचलित "पंच परमेश्वर" व्यवस्था पर आधारित होनी चाहिये, जो कि भारत के महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचन्द्र द्वारा लिखित एक कहानी का शीर्षक है। इस व्यवस्था से पक्के सबूतों के अभाव, आमतौर पर अदालतों में प्रश्न चिन्ह लगा पुलिस रिकार्ड, एवं पेचीदे कानूनी दाव-पेचों की आड़ में आरोपित, (अ) अगर दोषी है तो तुरंत ही दंडित होने से बच नहीं सकते, एवं (ब) अगर दोषी नहीं है तो तुरंत ही निर्दोष सिद्ध हो जायेंगे। गाजियाबाद जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के विभिन्न वर्गों के पूर्व चयनित 153 प्रत्यर्थियों के विचारों पर आधारित इस पुस्तक में फील्ड सर्वेक्षण द्वारा एकत्रित आंकड़ों को 16 मूल सारणियों में प्रस्तुत किया गया है। प्रत्यर्थियों के विचारों के निष्कर्ष बारंबारता एवं विषय-वस्तु विश्लेषणों के आधार पर निकाले गये हैं। इस प्रकार भारत की पुलिस एवं न्यायिक व्यवस्था के बारे में यह पुस्तक एक तृणमूल (grassroots level) अध्ययन है।
पुलिस एवं अदालतों में नागरिक सहभागिता सस्ते-एवं-शीघ्र न्याय के लिये एक प्रशासनिक ढांचा (Pulisa Evaṃ Adālatoṃ Meṃ Nāgarika Sahabhāgitā Saste-Evaṃ-Sīghra Nyāya Ke Liye Eka...