नौकरशाही का प्रबन्ध
ebook ∣ आर्थिक सुधारों एवं ग्रामीण विकास के लिए पुनर्गठन (Naukaraśāhī Kā Prabandha: Ārthika Sudhāroṃ Evaṃ Grāmīṇa Vikāsa Ke Lie Punargaṭhana)
By सुरेश चन्द्र जैन (Sureśa Candra Jaina)
Sign up to save your library
With an OverDrive account, you can save your favorite libraries for at-a-glance information about availability. Find out more about OverDrive accounts.
Find this title in Libby, the library reading app by OverDrive.

Search for a digital library with this title
Title found at these libraries:
Library Name | Distance |
---|---|
Loading... |
यह पुस्तक आर्थिक सुधारों एवं ग्रामीण विकास के परिप्रेक्ष्य में नौकरशाही के प्रभावकारी प्रबंधन के प्रमख पहलओं पर प्रकाश डालती है। नौकरशाही में व्याप्त विभिन्न अपक्रियाओं की विस्तृत व्याख्या के साथ-साथ इस पुस्तक में उन्हें दूर करने के उपायों की भी चर्चा की गई है, जैसे: फाइलों तथा प्रकरणों को निपटाने के लिये समय-सीमा का न होना, गोपनीयता की आड़ में अफसरों द्वारा अपने गलत कार्यों को छिपाना, प्रभावकारी प्रोत्साहन एवं दण्डात्मक प्रक्रियाओं का न होना, अधिकारियों का व्यक्तिगत उत्तरदायित्व एवं जवाबदेही न होना, परिणाम-उन्मुखी प्रशासनिक व्यवस्था का न होना, विभाग प्रमुखों की नियुक्ति बिना व्यावसायिक विशेषज्ञता (professional specialization) के ही होना, ग्रामीण विकास कार्यक्रमों में ग्राम पंचायत की स्वीकृति का न होना, जिले के कलेक्टर एवं एस.पी. का जिले से चुने हुए प्रतिनिधि के अधीन न होना, मंत्रियों एवं अधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच शीघ्र न होना, सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली एवं आर्थिक सुधार, तथा सरकारी तंत्र को सुधारने के लिये सामाजिक आंदोलन, आदिआदि। ग्रामीण विकास के विभिन्न कार्यक्रमों की प्राथमिकताएं, ग्रामीणों की ग्रामीण विकास में सामूहिक भागीदारी, ग्रामीण विकास के कार्यक्रमों का स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा लागू किया जाना, अप्रैल 1994 से पंचायती राज व्यवस्था का क्रियान्वयन, ग्राम पंचायत के परामर्श से विकास की योजनाएं बनाना आदि पर भी जोर दिया गया है।
अनुशंसाएं मुख्यतः इस तथ्य पर आधारित हैं कि और्गेनाइजेशन डिवलपमेंट एवं मानव संसाधन प्रबंध के सिद्धांतों को नौकरशाही में भी क्रियान्वित किया जाए जैसी कि सभी सफल व्यावसायिक संगठनों में सामान्य प्रक्रिया है। गाजियाबाद जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के विभिन्न वर्गों के पूर्व चयनित 234 प्रत्यर्थियों के विचारों पर आधारित इस पुस्तक में फील्ड सर्वेक्षण द्वारा एकत्रित आंकड़ों को 17 मूल सारणियों में प्रस्तुत किया गया है। प्रत्यर्थियों के विचारों के निष्कर्ष बारंबारता एवं विषय-वस्तु विश्लेषणों के आधार पर निकाले गये हैं। इस प्रकार यह पुस्तक भारत के बारे में एक तृणमूल अध्ययन है।