
Sign up to save your library
With an OverDrive account, you can save your favorite libraries for at-a-glance information about availability. Find out more about OverDrive accounts.
Find this title in Libby, the library reading app by OverDrive.

Search for a digital library with this title
Title found at these libraries:
Library Name | Distance |
---|---|
Loading... |
About the book:
प्राक्कथन—छोटीछोटी सफलताओं ने शिखर पर पहुंचाया
परिस्थितियां कैसी भी हो, अच्छाई साथ ले कर आती हैं. कोरोनाकाल में लॉकडाउन की घोषणा हुई. इस ने सभी को हिला कर रख दिया. हरेक व्यक्ति विचलित था. सुबहशाम घुमने वाले ज्यादा घबराए थे. वे बिना घुमेफिरे नहीं रह सकते थे. उन के लिए यह लॉकडाउन किसी तालाबंदी या जेल से कम नहीं था. इस से मैं भी अछूता नहीं था. मेरे मन में अनेक विचार आए. तालाबंदी कैसे गुजरेगी? समय कैसे बितेगा? क्या दिनभर बैठे रहेंगे? या कुछ काम भी करेंगे? तब मन में एक विचार आया. कई महापुरूषों को जेल की सजा हुई थी. उन्हें अपने दुर्दिन जेल में बिताना पड़े थे. तब वे क्या करते रहे होंगे? यह विचार आते ही जिज्ञासा जागृत हुई. इन महापुरूषों की जीवनियां पढ़नी चाहिए. इन्हें ने अपना समय कैसे बिताया था? क्या किया था? तब इन की जीवनियां पढ़ी. तब ज्ञात हुआ कि महापुरूषों ने अपने जीवन में बहुत दुख देखें. कई संघर्षों का सामना किया. इसी बीच उन्हों ने अपनी छोटीछोटी सफलताओं में खुशियां ढूंढना शुरू किया. तब जा कर उन के कष्टभरे जीवन से उन्हें छुटकारा मिला. आपदा में भी अवसर मिला. जिस का परिणाम हमारे सामने हैं. आज वे पुरूष हमारे सामने महापुरूष बन कर खड़े हैं. कई विद्वानों ने जेल के दिनों का सदुपयोग किया. जवाहरलाल नेहरू ने जेल से अपनी 'पिता के पत्र पुत्री के नाम' लिख कर अपने समय का सुदपयोग किया. गोपालकृष्ण आगरकर अपनी छोटीसी गलती के पीछे जेल में 101 दिन रहे. इन दिनों को उपयोग उन्हों ने डोंगरी की दशा का चित्रण किया. उसी को उन्हों ने 'डोंगरी जेल के 101 दिन' में अपने प्रदेश की व्यथाकथा का चित्रण किया. जिस में सामाजिक कुरीतियों, छुआछूत और भेदभाव आदि का तानाबाना बुन कर लिख दिया. इसी समय चंपक ने मुझे महापुरूषों के जीवन पर कहानी लिखने के लिए निमंत्रित किया. उसी से सुझावानुसार और सूची के अनुरूप मैं ने कई महापुरूषों की जीवनियां पढ़ी. उन के संघर्ष और व्यथाकथा को जाना. समझा. उसे आत्मसात किया. तब उन के वास्तविक जीवन के संघर्ष, जीवटता और दुर्दिन को समझा. तब उन के श्रम और लक्ष्य के प्रति अटूट निष्ठा और श्रृद्धा को समझ कर उन को कहानियों में ढाला. इन्हीं की प्रेरणा और प्रोत्साहन का नतीजा है कि यह कहानी संग्रह आप के सम्मुख प्रस्तुत हैं.