Udayee Samrajy Ka Suryast

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By Manoj Soni

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उदयी साम्राज्य 'एक ऐसा साम्राज्य' जो सदा उदय और सदा विजय के पथ पर ही आगे बढ़ता रहा | लेकिन उदय और अस्त जैसे सिद्धांत ने अंततः इसे भी अस्त कर ही दिया | क्योंकि कोई सदा उदय भला कैसे रह सकता है, कभी ना कभी उसे भी अस्त तो होना ही होगा | जो हो भी गया और यहाँ तक तो सारी बातें ठीक भी थी 'लेकिन उन लोगों का क्या' जो जनहित का कार्य करते हुए जनहित के लिए ही बलिदान हो गये, वो भी उन अधर्मियों के द्वारा | क्या उन अधर्मियों के लिए कोई सिद्धांत नही हैं और अब उन दोनों अधर्मियों का अंत नही होना चाहियें? विधाता ने इनके लिए अपनी आँखें क्यों मूंद ली है ! क्या उन दोनों का अंत करने के लिए अब कोई नही आएगा | हे ईश्वर, काश की वो भविष्यवाणी नही हुयी होती और भविष्यवाणी के अनुसार वो घटनाएँ नही घटी होती तो आज उदयी वासियों को इतने कष्ट नही झेलने पड़ते 'अपने संतान को ये लोग' अपने आँखों के सामने ऐसे मरने नही देते और दोनों महाराज को भी अपनी पत्नी और अपने पुरे प्रजा के साथ उस सिकतादंड की सजा नही भुगतनी पडती, जिसे मृत्यु से भी बड़ी सजा मानी जाती है| काश की कबीले के दरुनों ने उनसे हाथ नही मिलाया होता तो हमारे सम्राट मारे नही जाते और श्रेष्ठ सुमम्बा के साथ लोगो की ऐसी हालत नही हुयी होती | अब तो एक आखिरी उम्मीद ही बची हुयी है 'हमारे राजगुरु' जो ना जाने कहाँ हैं और अब जीवित हैं भी या नही और अगर वो जीवित हैं तो उस कपटी घृताली को वो दंड मिलकर ही रहेगा ! वो कुछ ना कुछ तो जरुर करेंगे, उदयी साम्राज्य पुनः उदय होगा और दोनों महाराज भी उस सजा से जरुर मुक्त होंगे, मगर कब और कैसे ? इन सारी बातों को जानने के पढ़िए इस रोमांचक उदयी साम्राज्य की कहानी को, जो आपके इन सारे प्रश्नों के उत्तर जरुर देगी |

Udayee Samrajy Ka Suryast