Urdu Ke Mashhoor Shayar Majaz Aur Unki Chuninda Shayari (उर्दू के मशहूर शायर मजाज़ और उनकी चुनिंदा शायरी)
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By Narender Govind Behl
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मजाज़ उर्दू के प्रगतिशील विचारधारा से जुड़े रोमानी शायर के रूप में मशहूर हुए। लखनऊ शहर से जुड़े होने की वजह से 'मजाज़ लखनवी' नाम से भी मशहूर हुए। लेखन के शुरुआती दौर में उपेक्षा होने के बावजूद कम लिखकर भी उन्होंने बहुत ज्यादा प्रसिद्धि पाई।
मजाज़ की शायरी के दो रंग थे। पहले रंग में वे इश्किया गजलकार नजर आते हैं जबकि दूसरे रंग में उनके इंकलाबी शायर होने की झलक मिलती है। प्रगतिशील विचारधारा से जुड़ने के बाद उनकी शायरी व उनके लेखन को नया विस्तार मिला। वे प्रगतिशील लेखक संघ से जुड़ गए थे। स्वभाव से रोमानी शायर होने के बावजूद उनकी शायरी में प्रगतिशीलता के तत्व मौजूद रहे। अपनी शायरी में उपयुक्त शब्दों का चयन और भाषा की रवानगी ने उनकी शायरी को लोकप्रिय बनाने की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । हालाँकि उन्होंने बहुत कम लिखा लेकिन जो भी लिखा इससे उन्हें काफी प्रसिद्धि मिली।
इसमें कोई दो राय नहीं मजाज़ की मूल चेतना रोमानी है। मजाज़ ने अपने काव्य में प्रेम की हसरतों और नाकामियों का बड़ा व्यथापूर्ण चित्रण किया है। शुरुआत में उनकी रचनाओं के पीछे भी एक रोमानी चेतना की झलक मिलती थी, लेकिन धीरे-धीरे विचारधारा का विकास होने के बाद और मजाज़ ने अपने दौर की आशाओं, आकांक्षाओं, सपनों तथा व्यथाओं की वाणी बने। उन्होंने गरीबी, भेदभाव और पूंजीवाद के अभिशाप पर बड़ी क्रांतिकारी रचनाएँ की ।
खूब पहचान लो 'असरार' हूँ मैं
जिन्से-उल्फ़त का तलबगार हूँ मैं