
Sign up to save your library
With an OverDrive account, you can save your favorite libraries for at-a-glance information about availability. Find out more about OverDrive accounts.
Find this title in Libby, the library reading app by OverDrive.

Search for a digital library with this title
Title found at these libraries:
Library Name | Distance |
---|---|
Loading... |
कवि, नाटककार के रूप में हिन्दी साहित्य के आधुनिक काल के प्रमुख स्तंभ जयशंकर प्रसाद का कथा साहित्य भी विशेष महत्त्व रखता है। इसमें भी उनके दो सम्पूर्ण उपन्यास- कंकाल और तितली तथा एक अधूरा उपन्यास इरावती उनका औपन्यासिक रचना धर्मिता की प्रतिष्ठा के लिए पर्याप्त है। ये तीनों उपन्यास हिन्दी उपन्यास की तीन विशिष्ट प्रकृति और धाराओं का संकेत करते हैं। यथार्थवादी उपन्यास की धारा और आदर्शवादी तथा ऐतिहासिक उपन्यासों की परम्परा से प्रसाद जी ने यथार्थवाद, आदर्शवाद और इतिहास के प्रति अनुसंधानात्मक दृष्टि को अपने ढंग से प्रतिपादित किया है। प्रसाद जी उपन्यास साहित्य यथार्थ की क्रूताओं का विवेचन करते हुए आदर्श भाव का स्पर्श करते हुए पाठक को एक ऐसी मानसिकता के धरातल पर उतार देता है जहां उसने समाज की वास्तविकता को देखने की अपनी दृष्टि का विकास हो जाता है। प्रसाद के उपन्यास, भाव और विचार, संगति और संस्कार के अद्भुत उदाहरण हैं। उनका दार्शनिक चिन्तन नैतिक और व्यावहारिक स्तर पर वस्तु के अन्तर और बाह्य को दर्पण की भांति पारदर्शी रूप में प्रस्तुत करने की क्षमता रखता है। उनके उपन्यासों में हम अपने काल की सामाजिक सच्चाइयों से साक्षात्कार करते हैं और साथ ही मानव जगत् में उनसे संघर्ष करने की क्षमता भी अर्जित करते हैं।