इतना भर प्रेम

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By वर्जिन साहित्यपीठ

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कहा जाता है कि निराशा की चोट आशा के स्रोत का पता बताती है और विफल इच्छाओं की छटपटाहट यथार्थ से परिचय कराती है। बस आवश्यकता होती है तो सावधानी से सकारात्मक सोच को, सकारात्मक शब्दों को सुनने और चुनने की।ऐसे ही तीन जादुई शब्द हैं, "यह संभव है", जिनके कारण मैं अपने लेखों के संग्रह को एक पुस्तक का आकार दे पाई। "इतना भर प्रेम" मात्र मेरी पुस्तक का नाम नहीं बल्कि यह मेरा प्रेम अपने लेखन के प्रति, दूसरों तक रचनाओं के माध्यम से पहुंचने के प्रति, समाज के प्रति, समाज के विभिन्न वर्गों के प्रति, सुविधाविहीन, साधनविहीन, जरूरतमंदों के प्रति, इस समष्टि में उपस्थित प्रकृति, मानव व अन्य जीवों के प्रति है।
कहा जाता है कि निराशा की चोट आशा के स्रोत का पता बताती है और विफल इच्छाओं की छटपटाहट यथार्थ से परिचय कराती है। बस आवश्यकता होती है तो सावधानी से सकारात्मक सोच को, सकारात्मक शब्दों को सुनने और चुनने की।ऐसे ही तीन जादुई शब्द हैं, "यह संभव है", जिनके कारण मैं अपने लेखों के संग्रह को एक पुस्तक का आकार दे पाई। "इतना भर प्रेम" मात्र मेरी पुस्तक का नाम नहीं बल्कि यह मेरा प्रेम अपने लेखन के प्रति, दूसरों तक रचनाओं के माध्यम से पहुंचने के प्रति, समाज के प्रति, समाज के विभिन्न वर्गों के प्रति, सुविधाविहीन, साधनविहीन, जरूरतमंदों के प्रति, इस समष्टि में उपस्थित प्रकृति, मानव व अन्य जीवों के प्रति है।

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