आदिला

ebook Aadila

By Sumit Upadhyay

cover image of आदिला

Sign up to save your library

With an OverDrive account, you can save your favorite libraries for at-a-glance information about availability. Find out more about OverDrive accounts.

   Not today

Find this title in Libby, the library reading app by OverDrive.

Download Libby on the App Store Download Libby on Google Play

Search for a digital library with this title

Title found at these libraries:

Library Name Distance
Loading...

काफी रात हो चुकी थी आज रहमानपुर में बिजली थी खाना खाने के बाद में नीचे के कमरे में जाकर लेट गया सिगरेट के धुएं के बीच में खुद को अधिष्ठित किए मैं लेटा हुआ था खाना खाने के बाद सब सो चुके थे आदिला के कमरे में बल्ब जल रहा था मैं उठकर आदिला के कमरे में चला गया नींद नहीं आ रही थी सोचा चलो चल कर आदिला को ही देख लूँ ,आदिला शांत पड़ी हुई थी बाजू की चौपाई में नुसरत सोई हुई थी बिल्कुल सीधी उसके वक्ष उसकी सांसो की गति को जैसे नाप रहे थे वह इस तरह सोई हुई थी कि उसके वक्ष उसके सलवार की कमीज से आधे बाहर निकले हुए थे ,मेरी नजरे आदिला से हटकर नुसरत पर ठहर चुकी थी ,मैं न जाने किस सम्मोहन से बंधता उसकी चारपाई के पास जाकर खड़ा हो गया पूरे शरीर में रक्त का संचार तेज हो गया पूरा शरीर जलने लगा जैसे मुझे अचानक से 102 डिग्री बुखार हो गया हो मेरे अंदर खुद को रोकने की चेष्टा भी ना बची थी बचा था तो केवल एक रोमांचकारी डर जो मुझे उसके शरीर को स्पर्श करने के लिए मजबूर कर रहा था मैं धीरे से उसकी चारपाई पर बैठ गया पूरा शरीर एक ज्वार से जल रहा था मैं एक टक उसके वक्षों को निहारने लगा उसके शरीर का अंग अंग मुझे एक नशे का अहसास करा रहा था ,स्त्री के शरीर की भूख एक विकृत रूप में मुझ पर काबिज हो चुकी थी।

मैं भय की सीमा से, सम्मान अपमान की सीमा से ,अच्छे बुरे की सीमा से परे हो केवल एक साधारण सा असभ्य जानवर बन नुसरत के बाजू में बैठ उसके यौवन को निहार रहा था।

आदिला