Mahabharat

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By Maharshi Veda Vyasa

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भाग 1. आदि पर्वभाग 2. सभा पर्वभाग 3. वन पर्वभाग 4. विराट पर्वभाग 5. उद्योग पर्वभाग 6. भीष्म पर्वभाग 7. द्रोण पर्वभाग 8. कर्ण पर्वभाग 9. शल्य पर्वभाग 10. सौपतिक पर्वभाग 11. स्त्री पर्वभाग 12. शान्ति पर्वभाग 13. अनुशासन पर्वभाग 14. अश्वमेधिक पर्वभाग 15. आश्रमावासिक पर्वभाग 16. मौसल पर्वभाग 17. महाप्रस्थानिक पर्वभाग 18. स्वर्गारोहण पर्व—————————————१ नारायणं नमस्कृत्य नरं चैव नरॊत्तममदेवीं सरस्वतीं चैव ततॊ जयम उदीरयेत२ लॊमहर्षणपुत्र उग्रश्रवाः सूतः पौराणिकॊ नैमिषारण्ये शौनकस्य कुलपतेर दवादशवार्षिके सत्रे३ समासीनान अभ्यगच्छद बरह्मर्षीन संशितव्रतानविनयावनतॊ भूत्वा कदा चित सूतनन्दनः४ तम आश्रमम अनुप्राप्तं नैमिषारण्यवासिनःचित्राः शरॊतुं कथास तत्र परिवव्रुस तपस्विनः५ अभिवाद्य मुनींस तांस तु सर्वान एव कृताञ्जलिःअपृच्छत स तपॊवृद्धिं सद्भिश चैवाभिनन्दितः६ अथ तेषूपविष्टेषु सर्वेष्व एव तपस्विषुनिर्दिष्टम आसनं भेजे विनयाल लॊमहर्षणिः७ सुखासीनं ततस तं तु विश्रान्तम उपलक्ष्य चअथापृच्छद ऋषिस तत्र कश चित परस्तावयन कथाः८ कृत आगम्यते सौते कव चायं विहृतस तवयाकालः कमलपत्राक्ष शंसैतत पृच्छतॊ मम९ [सूत]जनमेजयस्य राजर्षेः सर्पसत्रे महात्मनःसमीपे पार्थिवेन्द्रस्य सम्यक पारिक्षितस्य च१० कृष्णद्वैपायन परॊक्ताः सुपुण्या विविधाः कथाःकथिताश चापि विधिवद या वैशम्पायनेन वै११ शरुत्वाहं ता विचित्रार्था महाभारत संश्रिताःबहूनि संपरिक्रम्य तीर्थान्य आयतनानि च१२ समन्तपञ्चकं नाम पुण्यं दविजनिषेवितमगतवान अस्मि तं देशं युद्धं यत्राभवत पुरापाण्डवानां कुरूणां च सर्वेषां च महीक्षिताम
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