Geetawali (Hindi)

ebook

By Tulsidas

cover image of Geetawali (Hindi)

Sign up to save your library

With an OverDrive account, you can save your favorite libraries for at-a-glance information about availability. Find out more about OverDrive accounts.

   Not today

Find this title in Libby, the library reading app by OverDrive.

Download Libby on the App Store Download Libby on Google Play

Search for a digital library with this title

Title found at these libraries:

Library Name Distance
Loading...
आजु सुदिन सुभ घरी सुहाई |रूप-सील-गुन-धाम राम नृप-भवन प्रगट भए आई ||अति पुनीत मधुमास, लगन-ग्रह-बार-जोग-समुदाई |हरषवन्त चर-अचर, भूमिसुर-तनरुह पुलक जनाई ||बरषहिं बिबुध-निकर कुसुमावलि, नभ दुन्दुभी बजाई |कौसल्यादि मातु मन हरषित, यह सुख बरनि न जाई ||सुनि दसरथ सुत-जनम लिये सब गुरुजन बिप्र बोलाई |बेद-बिहित करि क्रिया परम सुचि, आनँद उर न समाई ||सदन बेद-धुनि करत मधुर मुनि, बहु बिधि बाज बधाई |पुरबासिन्ह प्रिय-नाथ-हेतु निज-निज सम्पदा लुटाई ||मनि-तोरन, बहु केतुपताकनि, पुरी रुचिर करि छाई |मागध-सूत द्वार बन्दीजन जहँ तहँ करत बड़ाई ||सहज सिङ्गार किये बनिता चलीं मङ्गल बिपुल बनाई |गावहिं देहिं असीस मुदित, चिर जिवौ तनय सुखदाई ||बीथिन्ह कुङ्कम-कीच, अरगजा अगर अबीर उड़ाई |नाचहिं पुर-नर-नारि प्रेम भरि देहदसा बिसराई ||अमित धेनु-गज-तुरग-बसन-मनि, जातरुप अधिकाई |देत भूप अनुरुप जाहि जोइ, सकल सिद्धि गृह आई ||सुखी भए सुर-सन्त-भूमिसुर, खलगन-मन मलिनाई |सबै सुमन बिकसत रबि निकसत, कुमुद-बिपिन बिलखाई ||जो सुखसिन्धु-सकृत-सीकर तें सिव-बिरञ्चि-प्रभुताई |सोइ सुख अवध उमँगि रह्यो दस दिसि, कौन जतन कहौं गाई ||जे रघुबीर-चरन-चिन्तक, तिन्हकी गति प्रगट दिखाई |अबिरल अमल अनुप भगति दृढ़ तुलसिदास तब पाई ||
Geetawali (Hindi)