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रजनी को भी शृंगार की कला समझ आयी थी। वह अपने नाजुक उंगलियों से अजय के सीने पर निपल्स को हल्का हल्का दबाती थी। खींचती थी।
एक मूर्ख पत्नी संभोग के वक्त बकबक करती है। पति से कुछ डिमाँड करती है। या मुर्दे जैसे शरीर को कड़क बनाकर पड़ी रहती है।
पति को पूरे कपड़े भी उतारने नहीं देती। जहाँ पर रजनी बेडरूम में आने के पश्चात अपने कपड़े खुद उतार कर चद्दर में घुस जाती थी। ...
उसे एक बात हमेशा खटकती थी कि, अपना वजन मुख्य क्रिडा में पत्नी पर डालने से पत्नी को तकलीफ होती होगी। फिर उसने एक आसन ढूंढ कर निकाला।
पत्नी जब घडी के सुई के साढे बारह की पोजीशन में सोई हुई है, तो खुद सवा नौ की पोजीशन में सोता था। फिर पत्नी को दोनों पैर घुटने में मोड़ने के लिए कहता था। और अपने खुद के लेफ्ट हाथ के साईड आ कर आराम से योनि में लिंग का प्रवेश करता था।..
यहाँ तक की पत्नी के इनर वियर्स खरीदने के लिये वो खुद रजनी के साथ जाता था। अनेक नेट वाली डिजाईंस और कलर्स वो खुद चुनता था। महक वाली निकर्स, फ्लोरोसेंट निकर्स, लायटिंग वाले ब्रा, ब्रा की सही साईज चुनना इत्यादि के बाबत में उसका ग्यान दुकानदार से भी ज्यादा होता था।....
पिरियड्सके लिये अलग, रेगुलर युज के लिए अलग, बाहर घूमने जायेंगे तो अलग ऐसे वो सेट्स खरीदता था। रजनी एक सुंदर औरत ही नहीं थी...
..यह इंद्रदेव मुझसे जलता ही होगा क्योंकि उसके दरबार की अप्सरा मेरे लिए रोज चाय जो बनाती है.....
शोभा की गर्म सांसे उसे अपनी गर्दन पर महसूस हुई। उसके शरीर की गर्माहट अजय को आज जरा ज्यादा ही तेज लगी। "देखो अजय प्यार अलग है और शादी अलग। जरूरी नहीं कि पति-पत्नी में प्रेम हो, रोमाँस हो। हजारों सालों से यही चला आ रहा है। यहां तक की गुफा में रहने वाली महिला भी गुफा को संभालती थी, तो पति को दिन भर उसके लिए शिकार करनी पडती थी। उसके बदले में वो पति को रति सुख देती थी"।
'मैट्रिमोनी' की एड पढ़ो... लड़कियों को ऐसा लडका चाहिए जिसका खुद का घर हो अच्छी पगार हो... किसी भी लड़की ने यह नहीं लिखा कि खूबसूरत लड़का हो। कमाता कुछ भी नही होगा तो भी चलेगा। और लडके क्या चाहते हैं वो भी देखो.. खूबसूरत, गोरा रंग, कमनिय बांधा, कोई ये नहीं चाहता कि लडकी ग्यानी हो, विदुषी हो या काली साँवली भी चलेगी...
सूरज अब ढल गया था केवल लाल रक्तिम किरणें पीछे छूट गई थी जिन्हें घर लौटने की जल्दी हो रही थी। पंछी घरों की तरफ लौट रहे थे। समुंदर किनारे लौटने वाले पंछी ऊंची आवाज में कलरव करते-करते उड़ रहे थे। हर किसी का अपना घर था जहाँ पर वह लौटना चाहता था। समुंदर की लहरें पत्थर पर अपना सर टकरा रही थी। उसकी चुबुक चुबुक आवाज सांझ की भीषणता को और भी गहरी बना रही थी।
हर एक रूम में लाइट जल रहे थे। कहीं पर पति-पत्नी में झगड़ा चल रहा था। कहीं पर दो औरतें झगड़ रही थी। कहीं कोई शराबी अपने ही गम में चिल्ला चिल्ला कर रो रहा था। अंधेरे में कुछ जवान लड़के लड़कियां कोनें में फुस फुस बातें कर रही थी। जिनकी दबे सुरों में खीं खीं खीं की हंसी की आवाज आ रही थी। हर किसी की जिंदगी अपने अपने हिसाब से बह रही थी। किसी को किसी की पड़ी नहीं थी।
साठ और सत्तर के दशक से पहले लोग प्रेम ही रचाते थे शादी के मकसद से। अगर उनकी शादी नहीं होती थी तो प्रेमी आत्महत्या करते थे। क्योंकि समाज आदर्शवाद से प्रभावित था।
अस्सी के दशक के बाद प्रेमी को पति या पत्नी के रूप में पाना जरूरी नहीं रहा।
स्त्रियों के व्यक्तिगत जीवन में अमूलाग्र परिवर्तन आया गर्भनिरोधक गोलियों के कारण। प्रेमिका के रूप में गर्भधारण होने के डर से स्त्री स्वतंत्र नहीं थी। लेकिन अब वो अपने आप को रोमाँस में संपूर्णत: झोंककर जीवन का आस्वाद लेने लगी। 'देने' कि बजाय 'लेने' का हुनर उसे समझ में आ गया था। एक ही जरूरत पूरी करने के लिए अनेक प्रोडक्ट। वैसे ही एक लड़की के जीवन में अनेक लड़के, एक सामान्य बात बन गई।...
देह व्यापार वही औरत करती है जो करना चाहती है। वरना इज्जत की रोटी कमाने के लिए शहर में रोजगार की कमी नहीं। .....बताया, 'निरोध पर डॉटस होते हैं। उस पर लुब्रिकेंट होता है। जिससे योनि में लिंग प्रवेश के समय स्त्री को तकलीफ नहीं होती। क्योंकि हमेशा कामसलील योनि में निर्माण हो यह जरूरी नहीं। शुष्कता के कारण योनि के अंदर जख्म हो जाते हैं। निरोध के कारण योनी मे चिकट वीर्य नही रहने से पत्नी को नींद...