Swadheen Bharat Ke Rajnitigya Santon Ke Vichar-Amrit (स्वाधीन भारत के राजनीतिज्ञ संतों के विचार-अमृत)

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By Prof. Pushpita Awasthi

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दादा धर्माधिकारी एक व्यक्ति से अधिक व्यक्तित्व थे- सर्वोदय-दर्शन के जीवन्त प्रतीक पुरुष! जीवन-समर्थक गतिविधियों के प्रति समर्पित दादा ने अनासक्त- योग की ऐसी प्रबल साधना की, कि सांसारिक स्वार्थों से परे होकर सर्वोदय के पहरुए के रूप में आजन्म खड़े रहे। शास्त्र-साहित्य के अध्येता, राजनीतिक विचारों के मर्मज्ञ विद्वान दादा की वार्ताओं में जीवन-सार सूक्तियों के रूप में सतत प्रवाहित होते रहे। उनके चिन्तन पर ज्ञान का कोई बोझ न था। दादा की राजनीतिक समझ बहुत सूक्ष्म और निर्भयता की थी। गांधीवाद को दादा ने व्यापक सारग्राही अवस्था प्रदान की। विनोबा की सोच को बड़े पैमाने पर विस्तार दिया। जयप्रकाश नारायण की सम्पूर्ण क्रान्ति' के तात्त्विक अन्वेषक और विश्लेषक रहे।
विचार मानस की निर्मिति है। मानस विचारों का जनक है। दादा धर्माधिकारी ने अपने संक्रमणकालीन समय में भारतीय संस्कृति और ज्ञान से विचारों की धारा प्रवाहित की । प्रस्तुत है लोक-पुरुष दादा के विचारों की सूक्तियाँ, जो आगामी सदी के लिए बुनियादी तालीम प्रदान करती हैं।
- प्रो. पुष्पिता अवस्थी

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