...Aur Phool Jharne Lage (...और फूल झरने लगे)

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By Osho

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ओशो की बातों का सार-निचोड़ यह है कि केवल स्वयं बदलने, एक-एक व्यक्ति के बदलने के परिणामस्वरूप हमारा संपूर्ण 'स्व'- हमारा समाज, हमारी संस्कृति, हमारे विश्वास, हमारा संसार सभी कुछ बदल जाता है। और इस बदलाव का द्वार है - ध्यान।
ओशो ने एक वैज्ञानिक की तरह अतीत के सारे दृष्टिकोणों पर समीक्षा और प्रयोग किए हैं और आधुनिक मनुष्य पर उनके प्रभाव का परीक्षण किया है, तथा उनकी कमियों को दूर करते हुए इक्कीसवीं सदी के अतिक्रियाशील मन के लिए एक नवीन प्रारंभ बिंदु: 'ओशो सक्रिय ध्यानों' का आविष्कार किया है।
इन बोध कथाओं के वचन भी मर्मस्थल पर चोट करते हैं जिससे ओढ़े गए मुखौटे हटकर असली और प्रमाणिक चेहरे प्रकट हो जाते हैं। ज़ेन सद्गुरुओं द्वारा निर्मित की गई स्थितियाँ तुम्हारी मूर्च्छा को तोड़कर तुम्हें अपने केन्द्र पर जाने को प्रेरित करती हैं और तुम्हारी हृदय की समझ अथवा बोध को विकसित करती है। और बोध ही बुद्धत्व है।
इस पुस्तक की प्रत्येक बोध कथा एक सिखावन और बोध है। वह तुम्हें तुम्हारे ओढ़े गए नकली मुखौटे के प्रति सचेत बनाती है, तुम्हारे 'मैं' पर चोट कर वह तुम्हें तुम्हारी मूर्च्छा से जगाकर बोध के प्रकाश तक ले जाती है।
आशा करते हैं कि 'और फूल झरने लगे' आपको आध्यात्मिक बोध देगी और आपकी आध्यात्मिक दुनिया को प्रबल करेगी।

...Aur Phool Jharne Lage (...और फूल झरने लगे)