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आप्तवाणी -14 भाग -3 में प्रकाशित प्रश्नोतरी सत्संग में, परम पूज्य दादाश्री ने आत्मज्ञान से लेकर केवलज्ञान दशा तक पहुँचने के लिए सारी समझ खुली कर दी हैं। खंड-1 में आत्मा के स्वरूप रियली, रिलेटिवली, संसार व्यवहार में हर एक जगह पर, कर्म बाँधते समय, कर्मफल भुगतते समय और खुद मूल रूप से कौन है, उसी तरह अस्तित्व के स्वरूप जो ज्ञानी पुरुष के श्रीमुख से निकले हैं, उनका विस्तारपूर्वक स्पष्टीकरण प्राप्त होता है। प्रतिष्ठित आत्मा, व्यवहार आत्मा, पावर चेतन, मिश्रचेतन, निश्चेतन चेतन और मिकेनिकल चेतन की ज्ञानी की दृष्टि में जो यथार्थ समझ है, वह शब्दों के माध्यम से परम पूज्य दादाश्री की वाणी द्वारा प्राप्त होती है। खंड-2 में ज्ञान के स्वरूप की समझ, स्वरूप के अज्ञान से लेकर केवलज्ञान तक के सभी प्रकार उसके अलावा ज्ञान-दर्शन के विविध प्रकारो की विस्तृत समझ प्राप्त होती है। अज्ञान में कुमति, कुश्रुत, कुअवधि एवम ज्ञान में श्रुतज्ञान, मतिज्ञान, अवधिज्ञान, मनःपर्यव ज्ञान और केवलज्ञान, इस तरह पाँच भाग और दर्शन में चक्षु दर्शन, अचक्षु दर्शन, अवधि दर्शन और केवल दर्शन वगैरह का आध्यात्मिक स्पष्टीकरण प्राप्त होता है।