हत्या के बाद

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By प्रकाश भारती

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विक्रम खन्ना बड़ी मुश्किल से उस रेस्टोरेन्ट तक ही पहुंच सका।
डिनर का आर्डर देते वक्त अपने परिचित दो पुलिस वालों को भीतर दाखिल होते, दरवाजे के पास मेज पर बैठते और अपनी ओर सर हिलाते देखकर उसने राहत महसूस की।
उसे हत्यारा समझा जा रहा था- पेशेवर बदमाश परवेज आलम का बदमाशों और पुलिस दोनों को उसकी तलाश थी।
डिनर सर्व कर दिया गया। उसने खाना शुरू ही किया था बरसाती पहने एक युवती उसकी मेज पर आ रुकी। सामने कुर्सी पर बैठते ही उसका आर्डर सर्व कर दिया गया। जाहिर था अंदर आते ही उसने आर्डर दे दिया था।
-"मेरी ओर देखे बगैर ध्यान से मेरी बात सुनो।" वह खाना चबाती हुई धीरे से बोली- "मैं किरण वर्मा हूँ - आई.बी. की एजेंट। मुसीबत में हूँ। तुम्हारी मदद चाहिए।"
विक्रम को वह सच बोलती नजर आई। उसी के अंदाज में बोला- "ओ के। गो अहेड।"
फिर दिखाने के तौर पर खाना खाती युवती दबे स्वर में बोलती रही।
विक्रम भी खाना खाता हुआ गौर से सुनता और समझता रहा।
युवती ने अपना सैंडविच उठाकर उसमें दांत गड़ाए दिएर मुंह बनाते हुए वापस प्लेट में रख दिया। कॉफी खत्म की और उठकर दरवाजे की ओर बढ़ गई...।
विक्रम ने सैंडविच उठाकर वहीं दांत गड़ाए जहां युवती ने काटा था। जुबान पर कैप्सूल का स्पर्श महसूस हुआ। कैप्सूल मुंह में रोककर सैंडविच वापस रखा। मुंह में दबा टुकड़ा चबाया। कॉफी का घूँट लेकर रुमाल से मुंह पोछने के बहाने कैप्सूल उसमें उगलकर पैंट की टिकिट पॉकेट में रख लिया। वो कैप्सूल उसे स्थानीय आई.बी. हैडक्वार्टर्स पहुंचाना था।
अचानक बाहर दो फायरों की आवाज गूंजी। एक गोली खिड़की से आ टकराई... कांच टूटा चीख पुकार... भगदड़... दोनों पुलिस वाले रिवाल्वरे निकालते दरवाजे की ओर भागे.... एक साथ कई फायरों की गूँज... पुलिस वाले बाहर दौड़ गए....।
खुले दरवाजे से विक्रम ने युवती को एक कार की आड़ में नीचे गिरते देखा। बाहर अंधे में हो रही फायरिंग से साबित हुआ – किरण वर्मा ने सच बोला था।
अफरा तफरी और भगदड़ का फायदा उठाकर विक्रम तेजी से पिछले दरवाजे की ओर लपका गलियारे में कैप्सूल निकालकर चैक किया – सफेद पाउडर के बीच माइक्रोफिल्म का सिरा नजर आया कैप्सूल वापस जेब में रखकर गरदन घुमाई – एक आदमी को अपनी मेज पर प्लेटों में जूठन टटोलते देख उसे भूलकर विक्रम पिछला दरवाजा खोलकर बाहर निकला... दो कदम जाते ही सर पर किसी कठोर चीज का प्रहार हुआ... त्यौरकर गिरा... और होश गवां बैठा...।
गोली बारी के बीच किरण वर्मा का क्या हुआ? विक्रम पर हमला करने वाला कौन था। क्या विक्रम पुलिस और आलम भाइयों से बचकर कैप्सूल को उसके मुकाम तक पहुँचा पाया?

हत्या के बाद