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पेशेवर बक्सर गनपत में वे तमाम खूबियां थीं जो एक बाक्सिंग चैंपियन में होनी चाहिए। वह चैंपियन बनने का बेहद ख़्वाहिशमंद भी था। लेकिन वह जानता था- बाक्सिंग, रेसलिंग और हार्स रेसेज का गेम्बलिंग रैकेट चलाने वाले हरगिज उसे चैम्पियन नहीं बनने देंगे। उनकी निगाहों में वह वफादार और भरोसेमंद नहीं रहा था।
फिर भी उसने रिस्क लेने का फैसला कर लिया।
वह थंडर के रिपोर्टर अजय कुमार से मिला। खुलकर सब कुछ बताने के बाद एक सीलबंद लिफाफा उसे सौंप दिया। जिसमें उसके हल्फिया बयान के साथ गेम्बलिंग रैकेट और उसे चलाने वालों का पूरा कच्चा चिट्ठा मौजूद था। साथ ही वादा लिया उसे कुछ भी जो जाने की सूरत में उस मसाले को थंडर में छपवा देगा।
अजय को उम्मीद नहीं थी की गनपत के साथ कोई हादसा होगा। उसने लिफाफा उसी के सामने अपनी कपबोर्ड के लॉकर में लॉक कर दिया।
गनपत ने अपने मैनेजर जयकिशन को भी खत के बारे में तो बता दिया लेकिन वो कहां था या किसके पास था यह नहीं बताया।
बात बॉसेज तक पहुँची। स्पेशल मीटिंग बुलायी गई। चारों बॉसेज ने हिस्सा लिया- श्रीकांत वर्मा- विराट नगर ब्रांच से, घनश्याम दास दिल्ली ब्रांच से, विक्रम राव भोसले- मुम्बई से और नरेन मुखर्जी कलकत्ता से।
हालत पर विचार विमर्श के बाद फैसला लिया- लिफाफा हासिल करके गनपत को सफाई से ठिकाने लगा दिया जाए।
चैम्पियन शिप के खिताब के मुकाबले के लिए ठीक दो महीने बाद की तारीख की घोषणा कर दी गई- गनपत का मुकाबला मौजूद चैम्पियन सुखवंत से होगा।
गनपत को अपनी जीत का पूरा भरोसा था ट्रेनिंग के लिए जाने से पहली रात उसने भरपूर मौज की- शराब के दौर और फुलमून बार की डांसर लीना का शबाबा मस्ती के मूड में फोन करके अजय को भी बुलाया और लिफाफे के बारे में हिदायद दोहरा दी....।
दो महीने बाद... भारी भीड़ और रिकार्डतोड़ बैटिंग के बीच गनपत और सुखवंत फाइट के लिए रिंग में उतरे... पहले ही राउंड में गनपत धराशायी हो गया... भीड़ बेकाबू... शोर शराबा... अफरा-तफरी... गनपटत मर चुका था!
अजय घर पहुंचा.... कपबोर्ड से लिफाफा गायब था। वह समझ गया गनपत की हत्या की गई थी। कैसे? हत्यारा कौन था?
गनपत का मैनेजर जयकिशन भी मारा गया। लीना लापता थी।
क्या अजय गनपत के हत्यारे का पता लगाकर चांडाल चौकड़ी तक पहुँच सका???