Shankar Sanyas

ebook Jagadguru Shankaracharya / जगद्गुरू शंकराचार्य

By Janardan Rai Nagar / जनार्दन राय नागर

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''जगद्गुरू शंकराचार्य'' शंकर के जीवन वृत्त को आधार बनाकर लिखा गया पण्डित जनार्दन राय नागर के इस उपन्यास  का नाम ''शंकर-सन्यास'' है। बाल्यावस्था से ही अपने चमत्कारों के कारण शंकर जन चर्चाओं का केन्द्र बिन्दु बना। अलवई नदी में स्नान करते समय शंकर का पांव मकर की दाढ़ों में जा फंसा और आसन्न मृत्यु के साक्षात्कार से शंकर की विकलता ने मां विशिष्टा के मन को विचलित कर दिया। ''त्रिवांकुर मण्डल के स्वामी राजशेखर के अनुरोध से शंकर को सन्यास की अनुमति न देने के लिए विशिष्टा का अटल निश्चय डगमगाया। परिस्थिति की गम्भीरता के आवेश में विशिष्टा ने अपने पुत्र शंकर को सन्यास के लिए अन्ततः स्वीकृति दे ही दी।''

'चिदानन्द रूपम् शिवोऽहम् शिवोऽहम्' का मन्त्र जाप करते हुए सन्यासी रूप में शंकर गुरू गोविन्दपाद से दीक्षा प्राप्त  करने के लिए नर्मदा नदी पर स्थित उनके आश्रम की ओर चल पड़े।  इसके आगे का वृत्तान्त 'शंकर-दीक्षा' नामक उपन्यास में दिया गया है।

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