Sign up to save your library
With an OverDrive account, you can save your favorite libraries for at-a-glance information about availability. Find out more about OverDrive accounts.
Find this title in Libby, the library reading app by OverDrive.
Search for a digital library with this title
Title found at these libraries:
Loading... |
एक स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी, हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य, भगत सिंह, राम प्रसाद बिस्मिल, राधारानी सेन जैसे उन क्रांतिकारियों के समकालीन, जिन्होंने 1920से 1947 तक अनेक कार्रवाइयों में भाग लिया था, अंग्रेज सरकार द्वारा 20 से अधिक बार जेल भेजे गए, जिनमें सेल्युलर जेल, अंडमान भी शामिल है, जो अपनी क्रांतिकारिता के लिये कभी प्रशंसा की अपेक्षा नहीं रखते थे और जिन्होंने स्वतंत्रता सेनानी पेंशन लेने से इसलिये इन्कार कर दिया था कि देश के प्रति अपने कर्तव्य को निभाने का कोई पुरस्कार उन्हें स्वीकार नहीं। अपने त्याग और सेवा के लिये जनता के बीच अत्यंत समादृत, समाज में व्यापक सुधार के लिये, विशेष कर युवाओं के बीच में, सदैव सक्रिय। जिनके भाषणों और लेखन ने समाज के वंचित और जागरूक युवाओं को हमेशा प्रेरित किया। यह लेखक जब से इस महान विभूति के संपर्क में आया, उनके माध्यम से भारतीय स्वातंत्र्य संघर्ष के विभिन्न आयामों की प्रामाणिक जानकारियां प्राप्त की, देश के विभिन्न हिस्सों में क्रांतिकारी कार्रवाइयों में उनकी सहभागिता के रोमांचक प्रसंग सुने, तभी से यह विचार मन में आने लगा कि इस महत्वपूर्ण क्रांतिकारी के जीवन और कर्तृत्व पर शोधपूर्ण किताब लिखे जाने की जरूरत है। यह विचार तब और गहरा हुआ जब यह जानकारी मिली कि उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी पेंशन लेने से इन्कार कर दिया था। १९६२ से १९६७ तक बिहार बिधान सभा के सदस्य भी थे I इस पुस्तक की तैयारी के क्रम में कई तरह के स्रोतों से जानकारियां हासिल की गईं, कई संदर्भों का शोधपरक विश्लेषण किया गया, अनेक समकालीनों और विद्वानों से साक्षात्कार लिये गए,उनके अपने लेखन और उनसे संबंधित अन्य लोगों द्वारा लिखित सामग्रियों का गहन अध्ययन किया गया। पुस्तक में दी गई जानकारियों को प्रामाणिक बनाने के लिये लेखक द्वारा तत्कालीन सरकारी अभिलेखों का गहन अध्ययन किया गया। 20वीं शताब्दी के महत्वपूर्ण सरकारी अभिलेखों और निजी पुस्तकालयों में मिली अध्ययन सामग्रियों ने मुझे इस पुस्तक को पूर्णता तक पहुंचाने में बहुत सहायता पहुंचाई। स्वतंत्रता सेनानी पेंशन लेने से इन्कार कर के और युवाओं को देश और समाज की सेवा की भावना से राजनीति में आने की प्रेरणा दे कर उन्होंने भावी पीढ़ियों के लिये एक विशिष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया।
एक स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी, हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य, भगत सिंह, राम प्रसाद बिस्मिल, राधारानी सेन जैसे उन क्रांतिकारियों के समकालीन, जिन्होंने 1920से 1947 तक अनेक कार्रवाइयों में भाग लिया था, अंग्रेज सरकार द्वारा 20 से अधिक बार जेल भेजे गए, जिनमें सेल्युलर जेल, अंडमान भी शामिल है, जो अपनी क्रांतिकारिता के लिये कभी प्रशंसा की अपेक्षा नहीं रखते थे और जिन्होंने स्वतंत्रता सेनानी पेंशन लेने से इसलिये इन्कार कर दिया था कि देश के प्रति अपने कर्तव्य को निभाने का कोई पुरस्कार उन्हें स्वीकार नहीं। अपने त्याग और सेवा के लिये जनता के बीच अत्यंत समादृत, समाज में व्यापक सुधार के लिये, विशेष कर युवाओं के बीच में, सदैव सक्रिय। जिनके भाषणों और लेखन ने समाज के वंचित और जागरूक युवाओं को हमेशा प्रेरित किया। यह लेखक जब से इस महान विभूति के संपर्क में आया, उनके माध्यम से भारतीय स्वातंत्र्य संघर्ष के विभिन्न आयामों की प्रामाणिक जानकारियां प्राप्त की, देश के विभिन्न हिस्सों में क्रांतिकारी कार्रवाइयों में उनकी सहभागिता के रोमांचक प्रसंग सुने, तभी से यह विचार मन में आने लगा कि इस महत्वपूर्ण क्रांतिकारी के जीवन और कर्तृत्व पर शोधपूर्ण किताब लिखे जाने की जरूरत है। यह विचार तब और गहरा हुआ जब यह जानकारी मिली कि उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी पेंशन लेने से इन्कार कर दिया था। १९६२ से १९६७ तक बिहार बिधान सभा के सदस्य भी थे I इस पुस्तक की तैयारी के क्रम में कई तरह के स्रोतों से जानकारियां हासिल की गईं, कई संदर्भों का शोधपरक विश्लेषण किया गया, अनेक समकालीनों और विद्वानों से साक्षात्कार लिये गए,उनके अपने लेखन और उनसे संबंधित अन्य लोगों द्वारा लिखित सामग्रियों का गहन अध्ययन किया गया। पुस्तक में दी गई जानकारियों को प्रामाणिक बनाने के लिये लेखक द्वारा तत्कालीन सरकारी अभिलेखों का गहन अध्ययन किया गया। 20वीं शताब्दी के महत्वपूर्ण सरकारी अभिलेखों और निजी पुस्तकालयों में मिली अध्ययन सामग्रियों ने मुझे इस पुस्तक को पूर्णता तक पहुंचाने में बहुत सहायता...