Sign up to save your library
With an OverDrive account, you can save your favorite libraries for at-a-glance information about availability. Find out more about OverDrive accounts.
Find this title in Libby, the library reading app by OverDrive.
Search for a digital library with this title
Title found at these libraries:
Loading... |
2013 जून् 16-17 तारीख को जो महाप्रलय का पदार्पण हुआ तब जन्म-मृत्यु के बीच घटित उस क्षण से जीवित बचे लोगों की पीडा का जीवन्त वर्णन यथारूप चित्रित किया गया है इस पुस्तक में।
मूल्यांकन
स्वामीजी के इस ग्रन्थ में, हृदय की भाषा, तथा संस्कृति को आत्मसात करनेवाले एक मानव के मनोबल को किञ्चिदपि अतिशयोक्ति के बिना स्पष्टतया प्रतिपादित किया गया है।
-श्री राजशेखर लिंग - केदारनाथ आलय प्रधान पुजारी।
जब केदारनाथ सुनामि-प्रलय से काल-कवलित हो रहा था तदा एक मौन-साक्षी के रूप में जीवित रहने वाले, इस ग्रन्थ के रचयिता स्वामी सुशान्ता मात्र। प्रलय के पूर्व की स्थिति तथा प्रलय के समय के सत्यानाश की स्थिति इन दोनों को हृदयंगम करते हुए लिखे जाने के कारण यह लेख स्वल्प मात्रा में भी सत्यमार्ग से न यहाँ से हटा न वहाँ से।
श्री सुभा - विख्यात तमिल लेखक् – चेन्नै।
यह ग्रन्थ जून 2013 रात्रि में घटी भयंकर सत्यानाश की ओर आपको ले जा रहा है। प्रलय के समय स्वामीजी जिस वेदना के गर्त्त में डूब गये थे, जिस आन्तरिक दबाव में फँस गये थे उसका यथारूप चित्रण दृष्टिगोचर हो रहा है इस पुस्तक में। यह पुस्तक पाठकों के मन में एक अमिट छाप छोड देने
वाली है- इसमें तनिक भी संदेह नहीं।
श्री हेमन्त लाल, मुम्बई
इस ग्रन्थ के निर्माण के लिए किये गये परिश्रम् हो, अथवा स्वामीजी का अनुभव हो- जीवन में प्रधानता पाने योग्य एक अंश के लिए अपने जीवन को समर्पण करने वाले एक महानुभाव की वर्तndमानजीवन-यात्रा को अत्यधिक निकट रहकर अवलोकन करने का अवसर मेरे समान आध्यात्मिक-क्षेत्र में रहने वाले के लिए एक वर तथा अन्तःप्रेरणा एव। मेरे इस कथन में जरा भी अत्युक्ति नहीं।
-श्री लेनिन प्रकाश्, सहायक आचार्य। तिरुच्ची।